योगी सरकार का ‘जीरो गरीबी’ राज्य बनाने का अभियान: यूपी होगा देश का पहला राज्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को घोषणा की कि उनकी सरकार उत्तर प्रदेश को देश का पहला ‘जीरो गरीबी’ राज्य बनाने के लिए प्रयासरत है और इसे अगले एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान का उद्देश्य प्रत्येक ग्राम पंचायत से सबसे गरीब परिवारों की पहचान करना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना है। इस पहल के तहत, इन परिवारों को भोजन, वस्त्र, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आवास सुविधाएं और स्थिर आय स्रोत प्रदान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “इन परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें भोजन, वस्त्र, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, आवास सुविधाएं और स्थिर आय स्रोत शामिल हैं।” यह योजना सरकार द्वारा मिशन मोड में लागू की जा रही है ताकि हर गरीब परिवार तक यह मदद पहुंच सके।

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस पहल को लेकर सभी जिलाधिकारियों के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्तर प्रदेश इस व्यापक कार्यक्रम को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बने।

चयन प्रक्रिया

इस योजना के तहत, प्रत्येक ग्राम पंचायत में 10 से 25 सबसे गरीब परिवारों की पहचान के लिए तीन-स्तरीय हाइब्रिड पद्धति का उपयोग किया जाएगा। पहले स्तर पर, एक मोबाइल ऐप के माध्यम से चार प्रमुख मानदंडों के आधार पर परिवारों का आकलन किया जाएगा:

  1. वे परिवार जो बेघर हैं या कच्चे मकानों में रहते हैं।
  2. भूमिहीन परिवार जो केवल कृषि पर निर्भर हैं।
  3. दैनिक मजदूरी या कृषि श्रम पर निर्भर परिवार जिनकी आय अनिश्चित और अनियमित है।
  4. वे परिवार जो वित्तीय रूप से कमजोर हैं और भोजन तथा वस्त्र की कमी का सामना कर रहे हैं।

दूसरे स्तर पर, प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान, पूर्व ग्राम प्रधान, स्थानीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक और दो सबसे पुराने स्वयं सहायता समूहों के प्रमुखों की एक समिति बनाई जाएगी।

तीसरे स्तर पर, डिजिटल प्रणाली के माध्यम से स्वचालित रूप से परिवारों की आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाएगा। एक परफॉर्मेंस सपोर्ट यूनिट, जिसे मुख्य सचिव स्तर पर स्थापित किया गया है, सभी चिन्हित परिवारों के रिकॉर्ड की निगरानी करेगी और किसी भी विसंगति की स्थिति में जांच करेगी। विशेषज्ञ टीम दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी।

जरूरी सेवाओं तक पहुंच

चिन्हित गरीब परिवारों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जिसमें आयुष्मान भारत बीमा योजना और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अन्य योजनाएं शामिल हैं। इसके साथ ही, श्रम विभाग और बीओसी बोर्ड की योजनाओं के साथ-साथ एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत भी सहायता प्रदान की जाएगी।

इसके अलावा, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, महिला, बाल विकास और पोषण विभाग की योजनाओं के साथ-साथ जल जीवन मिशन और नमामि गंगे जैसी योजनाओं का भी इन परिवारों को लाभ मिलेगा।

घटती गरीबी दर

नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) की जनवरी में जारी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गरीबी में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। 2013-14 से 2022-23 के बीच 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें से 3.43 करोड़ लोग केवल पिछले पांच वर्षों में ही गरीबी से बाहर निकले। रिपोर्ट में राज्य में बहुआयामी गरीबों की प्रतिशतता 2015-16 में 37.68% से घटकर 2022-23 में 17.40% हो जाने का उल्लेख किया गया है।

आर्थिक संकेतक

उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2021-22 में बढ़कर ₹70,792 हो गई, जो 2020-21 में ₹61,374 थी। हालांकि, 2022-23 के लिए आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। यह आंकड़े राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार का संकेत देते हैं, जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी वर्षों में गरीबी उन्मूलन के प्रयास और अधिक प्रभावी होंगे।

निष्कर्ष:
योगी आदित्यनाथ सरकार का यह अभियान उत्तर प्रदेश को गरीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यदि यह योजना सफल होती है, तो उत्तर प्रदेश देश का पहला ‘जीरो गरीबी’ राज्य बन जाएगा। यह राज्य की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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