डॉल को असली बच्चा समझने के चक्कर में ब्रिटिश पुलिस ने तोड़ दिया कार का शीशा…

डॉल (Doll) को असली बच्चा समझने के चक्कर में ब्रिटिश पुलिस (British Police) अपना ही नुकसान करा बैठी. उसे न केवल आलोचना का सामना करना पड़ा बल्कि 264 पाउंड (करीब 27 हजार रुपये) की चपत भी लग गई. दरअसल, पुलिस को सूचना मिली थी कि बाजार में खड़ी एक कार के अंदर छोटा बच्चा अकेला है और आसपास कोई भी नहीं है. इसी फेर में पुलिस कुछ ऐसा कर गई कि बाद में पछताना पड़ा.
Police ने तोड़ दिया कार का शीशा
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड (England) के थॉर्नबी, टेसाइड में पुलिस को सूचना मिली कि एक कार काफी देर से खड़ी हुई है, जिसके अंदर एक नवजात है. जब पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कार की फ्रंट सीट पर बच्चा बैठा हुआ है. पुलिस ने आसपास पूछताछ की, लेकिन जब कार के मालिक का पता नहीं चला तो उसने बच्चे को बाहर निकालने के लिए कार का शीशा तोड़ दिया.
महिला की बातों पर नहीं हुआ यकीन
इस घटना के तुरंत बाद कार की मालकिन 36 वर्षीय एमी मैकक्विलेन (Amy McQuillen) अपनी 10 साल की बच्ची के साथ जब वहां पहुंचीं तो भीड़ देखकर हैरान रह गईं. उन्होंने पास जाकर देखा तो पाया कि कार का साइड ग्लास टूटा हुआ है. पुलिस अधिकारियों ने उनसे पूछा कि वो नवजात को कार में अकेला छोड़कर क्यों गई थीं? इस पर उन्होंने बताया कि जिसे वो बच्चा समझ रहे हैं वो दरअसल एक डॉल है. एमी ने अनुसार, अधिकारियों को मेरी बातों पर विश्वास नहीं हुआ, जब उन्होंने डॉल को हाथ में पकड़ा तब जाकर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ.
‘बिना गलती के अपमानित होना पड़ा’
एमी ने कहा कि वो अपनी बच्ची के साथ शॉपिंग करने आई थीं. डॉल को पकड़े-पकड़े बच्ची के हाथ में दर्द हो गया था. इसलिए उन्होंने डॉल को कार की फ्रंट सीट पर रखा और खरीदारी करने वापस चले गए. उन्होंने कहा, ‘मैं जानती हूं कि डॉल बिल्कुल असली जैसी दिखती है, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा. लोगों की भीड़ के सामने मुझे उस गलती के लिए अपमानित किया गया, जो मैंने की ही नहीं थी’. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि शिकायतकर्ता ने कहा था कि बच्चा कार के अंदर बेचैन हो रहा था और अचानक उसने हिलना-ढुलना बंद कर दिया. इसलिए हमें शीशा तोड़ना पड़ा.
Police प्रवक्ता ने कही ये बात
असलियत पता चलने पर पुलिस ने एमी मैकक्विलेन से माफी मांगी और गाड़ी की मरम्मत का बिल भी चुकाया. पुलिस विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसे मौकों पर अधिकारियों को जीवन बचाने के लिए त्वरित फैसले लेने पड़ते हैं. यदि गाड़ी में डॉल की बजाये असली का बच्चा होता तो इसी काम के लिए पुलिस की तारीफ की जा रही होती.