भीषण युद्ध में रूस-यूक्रेन के बीच इस मुद्दे पर हुआ समझौता, पढ़े पूरी खबर

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का आज (शनिवार को) 150वां दिन है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि इस युद्ध में पहली बार रूस और यूक्रेन के बीच एक मुद्दे को लेकर समझौता हुआ है, वो मुद्दा जो ना सिर्फ अफ्रीकी बल्कि दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ-साथ कई और देशों को भी राहत पहुंचाएगा. पर क्या इस समझौते को युद्ध के खत्म होने की ओर बढ़ने वाला कदम माना जाए या फिर रूस अब यूक्रेन को लेकर अपनी जिद पर अड़ा रहेगा. रूस ने यूक्रेन की जमीन पर जब से अपने कदम रखे, खारकीव, मरियुपोल, ओदेसा और ना जाने कितने शहर अब खंडहर हो चुके हैं. तस्वीरें ये बताने के लिए काफी हैं कि 149 दिनों में किस तरह से रूस ने यूक्रेन के शहरों को दिन रात घाव दिए हैं.

ब्लैक सी में फंसा अनाज पूरी दुनिया में होगा सप्लाई

युद्ध में अब तक तो दोनों देशों के बीच ना जाने कितनी ही मुलाकातें हुईं लेकिन बात किसी भी समझौते तक नहीं पहुंची. पर अब शायद समझौते का रास्ता ही दोनों देशों को रास आ रहा है. शुक्रवार को दोनों देशों ने एक समझौता किया, जिसके तहत अब ब्लैक सी में फंसे अनाज के जहाजों को दुनियाभर में सप्लाई के लिए जाने दिया जाएगा. वो जहाज जो अब तक इस युद्ध की वजह से यूक्रेन के बंदरगाहों पर फंसे हुए थे. इस समझौते पर रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और यूक्रेन के आवास और शहरी मामलों के मंत्री ओलकजान्डर कुबराकोव ने हस्ताक्षर किए.

युद्ध के बीच रूस-यूक्रेन के बीच बनी बात

गौरतलब है कि युद्ध में अब तक तो दोनों देशों के बीच ना जाने कितनी ही मुलाकातें हुईं, लेकिन बात किसी भी समझौते तक नहीं पहुंची. पर अब शायद समझौते का रास्ता ही दोनों देशों को रास आ रहा है. शुक्रवार को दोनों देशों ने एक समझौता किया. अब काला सागर में फंसे अनाज के जहाज वहां से निकल सकेंगे.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कही ये बात

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘यह उम्मीद की, संभावना की, दुनिया के लिए राहत की किरण है जिसकी काफी जरूरत थी.’ यह समझौता यूक्रेन को 2.2 करोड़ टन अनाज और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात करने में सक्षम बनाएगा. यह अनाज युद्ध के चलते काला सागर के बंदरगाहों पर फंसा हुआ है.

गुटेरेस ने कहा कि ‘काला सागर पहल’ नाम की यह योजना काला सागर के तीन बंदरगाहों (ओडेसा, चोरनोमोर्स्क और युझनी) से भारी मात्रा में वाणिज्यिक खाद्यान्नों के निर्यात के मार्ग को खोलेगा.

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