आइए जानते हैं, वट सावित्री व्रत के दिन क्यों की जाती है बरगद के पेड़ की पूजा?

प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस विशेष से दिन पर सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा भी की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं, वट सावित्री व्रत के दिन क्यों की जाती है बरगद के पेड़ की पूजा?

वट वृक्ष में वास करते हैं त्रिदेव

शास्त्रों में बताया गया है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और पेड़ डालियों में महादेव वास करते हैं। वहीं नीचे की तरफ लटकती हुई शाखा को मां सावित्री का प्रतीक है। इसी वजह से इस विशेष दिन पर बरगद के पेड़ की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और माता सावित्री की कृपा भी परिवार पर बनी रहती है।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि बरगद के वृक्ष की पूजा करने से संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है। वही किंवदंतियों के अनुसार, माता सावित्री की पूजा और निष्ठा को देखते हुए यमराज ने मृत पति परायणता को जीवनदान दिया था। तभी से यह मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से महिलाओं को पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।

वट सावित्री व्रत के दिन करें ये उपाय

  • कार्यस्थल पर आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष के नीचे 5 घी का दीपक जलाएं और मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं। ऐसा करने से साधक को बहुत लाभ मिलता है।
  • घर-परिवार में विवाद को दूर करने के लिए हर दिन बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और त्रिदेवों का ध्यान करते हुए मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं। ऐसा करने से आपसी प्रेम में वृद्धि होती है।
  • लंबी बीमारी और मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए वट वृक्ष के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें और बीमार व्यक्ति के बिस्तर के नीचे बरगद के पेड़ की जड़ रख दें।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency