राजकीय सम्मान के साथ राशिद खान को दी गई अंतिम विदाई

बुधवार सुबह से ही कोलकाता के कला का केंद्र कहे जाने वाला रबींद्र सदन, शोक की लहर में है। जो कला प्रेमी कल तक उनके सुरों के लिए उनका इंतजार करते थे, वे आज यहां उनके नश्वर देह का इंतजार कर रहे हैं। शोक की चादर ने चारों दिशाओं को गमगीन कर दिया है। हर आंख आज नम है… हर कोई मौन…किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनका सबसे प्रिय और आत्मीय महान शास्त्रीय संगीतकार उस्ताद राशिद खान आज उनके बीच नहीं हैं। महान कलाकार का पार्थिव शरीर फूलों और मालाओं से ढका हुआ है। उनके चाहने वाले अपने पसंदीदा कलाकार को आखिरी बार देखने का इंतजार कर रहे हैं। दिवंगत संगीत कलाकार राशिद खान को अंतिम विदाई देने के लिए बुधवार को रवीन्द्रसदन परिसर में भीड़ उमड़ पड़ी।

राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई
बुधवार सुबह करीब दस बजे राशिद का पार्थिव शरीर नकतला स्थित घर से रबींद्र सदन लाया गया। इसके बाद कलाकार को अंतिम विदाई देने के लिए प्रशंसकों की भीड़ उमड़ पड़ी। कलाकार का परिवार और करीबी रिश्तेदार मौजूद थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा मेयर फिरहाद हकीम, मंत्री अरूप विश्वास, इंद्रनील सेन, देबाशीष कुमार और राज चक्रवर्ती भी अंतिम विदाई देने के लिए हाथ जोड़े पहुंचे। दोपहर करीब 1 बजे कलाकार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। राशिद को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए संगीत जगत से हेमंती शुक्ला, उषा उत्थुप, तेजेंद्र नारायण मजूमदार, देवज्योति बसु, समर साहा और अन्य मौजूद थे। राशिद को अंतिम सम्मान देने के बाद उनके पार्थिव शरीर को कलाकार के आवास पर ले जाया गया।

लंबे वक्त से अस्पताल में थे भर्ती
उल्लेखनीय है कि राशिद को 22 नवंबर से अस्पताल में कराया गया था। वे पिछले कुछ वर्षों से प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे। लेकिन इस बीच हाल ही में उन्हें ब्रेन हेमरेज (स्ट्रोक) हुआ था। यहीं से हालात बिगड़ने शुरू हुए। उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां मंगलवार दोपहर 3:45 बजे उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।

उत्तर प्रदेश के बदायूं से थे उस्ताद
उस्ताद राशिद खान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बदायूं के रहने वाले थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1968 को हुआ था। वह रामपुर-सासवान शैली के कलाकार हैं। राशिद 10-11 साल की उम्र में कोलकाता आ गए थे। उस्ताद का पार्थिव शरीर बुधवार को कोलकाता से उनके जन्मस्थान ले जाया जाएगा, जहां उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

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