अमेरिकी अंतरिक्षयान ‘ओडीसियस’ ने चंद्रमा से भेजी पहली तस्वीर
अमेरिका के टेक्सास की इंट्यूटिव मशीन का लूनार लैंडर ओडीसियस चंद्रमा पर लैंडिंग करने में सफल रहा, लेकिन यह लैंडिंग पूरी तरह से सटीक नहीं थी और लैंडिंग के बाद यान थोड़ा सा टेढ़ा भी हो गया। इस घटना से यह कई मायनों में एक अनोखी लैडिंग बन गई है। ओडीसियस, 1972 में अपोलो17 मिशन के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला अमेरिकी अंतरिक्षयान बन गया है। ओडीसियस ने चंद्रमा की दक्षिणी सतह से पहली तस्वीर भेजी है।
‘ओडीसियस’ ने भेजी चंद्रमा की पहली तस्वीर
इंट्यूएटिव मशीन्स ने एक्स पर सोमवार को एक पोस्ट पर कहा, “ओडीसियस चंद्रमा की सतह से नोवा कंट्रोल में फाइटर कंट्रोलर के साथ कम्यूनिकेट कर रहा है।” पोस्ट में दो तस्वीरें भी शेयर की गई हैं। पहली तस्वीर षट्भुज आकार के अंतरिक्ष यान के उतरने की, और दूसरी उसके गिरने के 35 सेकंड बाद ली गई, जिसमें मालापर्ट ए प्रभाव क्रेटर की पक्की मिट्टी का पता चलता है।
आपको बता दें यह एक प्राइवेट कंपनी का लैंडर था, और इसमें नासा का भरपूर सहयोग था। चंद्रमा के मामले में नासा निजी कंपनियों की कमर्शियल लूनार पेलोड सर्विस कार्यक्रम के तहत वित्तीय सहायता करता रहा है। नासा कई प्रयोगों के लिए भी कंपनियों को प्रायोजित कर रहा है। इस साल के शुरू में एक और अमेरिकी कंपनी फर्म एस्ट्रोबायोटिक का अभियन पेरेग्राइन वन चंद्रमा पर लैंडिंग करने में नाकाम रहा था। लेकिन इंट्यूटिव मशीन सफल रही।
यान की क्षमताओं पर हो सकता है असर
ओडीसियस यान चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद टेढ़ा हो गया था। क्योंकि, लैंडिंग के समय इस यान का एक पैर टूट गया था। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि ओडीसियस की सॉफ्ट लैंडिंग तो सफल हो गई, लेकिन यान के काम करने की क्षमताओं पर असर हो सकता है।
इससे पहले जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने हाल ही में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (स्लिम) यान की सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी। ऐसा करने के बाद जापान ऐसे देशों की सूची में पांचवा देश हो गया। स्लिम की भी टेढ़ी लैंडिंग थी, और इससे उसक कार्यों में भी बाधा आई थी।
‘ओडीसियस’ ने भेजी चंद्रमा की पहली तस्वीर
मिशन के लिए इंटुएटिव मशीन्स को करीब 120 मिलियन डॉलर का भुगतान किया गया है। ओडीसियस, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की बेहतर समझ के लिए डिजाइन किए गए नासा के वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने शनिवार को 4.0 मीटर (13 फुट) लंबे ‘नोवा-सी’ श्रेणी के लैंडर की तस्वीर अपने लैंडिंग स्थल के 1.5 किलोमीटर के अंदर एक जगह से ली।
अपोलो मिशन के रास्ते से भेजा गया ओडीसियस
IM-1 मिशन के तहत भेजे गए ओडीसियस लूनार लैंड ने वही रास्ता फॉलो किया, जो कभी अपोलो मिशन के लिए चुना गया था। पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर है। आईएम-1 मिशन ने यह दूरी 8 दिन में पूरी करते हुए आखिरकार चांद पर लैंड किया।
खगोलशास्त्री और अंतरिक्ष मिशन विशेषज्ञ जोनाथन मैकडॉवेल ने एएफपी से कहा कि ओडीसियस एक तरफ झुक गया है, जिससे उन्हें ज्यादा चिंता नहीं हुई। यह मामूली सफलता है, वह इसे ए माइनस देंगे। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर नासा की कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (सीएलपीएस) पहल के लिए चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
शुक्रवार को, इंटुएटिव मशीन्स ने खुलासा किया कि उसके इंजीनियर एक सुरक्षा स्विच को चालू करना भूल गए थे, जिसने अंतरिक्ष यान के लेजर-निर्देशित लैंडिंग सिस्टम को इंगेज करने से रोक दिया था, जिससे उन्हें एक सॉफ्टवेयर पैच अपलोड करने और दिन बचाने के लिए एक प्रयोगात्मक नासा प्रणाली पर भरोसा करना पड़ा।