लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से नवाजे गए अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।बुधवार को मुंबई में हुए एक इवेंट में उषा मंगेशकर ने अभिनेता को पुरस्कार से नवाजा। इवेंट में बिग बी ने बताया कि उनके पिता और जाने-माने कवि हरिवंश राय बच्चन, लता मंगेशकर की आवाज की तुलना “शहद की धार” से करते थे।

साल 2022 में स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन के बाद उनके परिवार और ट्रस्ट ने गायिका की याद में इस पुरस्कार की स्थापना की थी। समारोह में लता मंगेशकर के चारों भाई- बहन शामिल होते हैं और पुरस्कार प्रेजेंट करते हैं।

एआर रहमान भी हुए सम्मानित
अमिताभ बच्चन के साथ म्यूजिशियन एआर रहमान को भी लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं, अभिनेता रणदीप हुड्डा को एक विशेष पुरस्कार दिया गया। इवेंट में बिग बी ने स्पीच भी दी और कहा कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना सौभाग्य की बात है।

बिग बी ने खुद को बताया भाग्यशाली
अमिताभ बच्चन ने हिंदी सिनेमा को कई यादगार फिल्में दी हैं। अपने करियर में उन्होंने ‘जंजीर’, ‘दीवार’, ‘चुपके-चुपके’, ‘बागबान’ और ‘पीकू’ समेत कई फिल्मों के लिए वाहवाही लूटीं। सम्मान मिलने पर बिग बी ने कहा, “मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे आज ये पुरस्कार मिला। मैंने कभी भी खुद को इस तरह के काबिल नहीं समझता, लेकिन हृदयनाथ जी ने बहुत कोशिश की ताकि मैं यहां आ सकूं। उन्होंने मुझे पिछले साल भी इस समारोह के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन मैं नहीं आ पाया था।”

बीते साल भी मिला था न्योता
बिग बी ने आगे कहा, “हृदयनाथ जी, मैं पिछली बार के लिए आपसे माफी मांगता हूं। मैंने तब आपको बताया था कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। मैं बिल्कुल ठीक था, लेकिन यहां नहीं आना चाहता था। इस साल मेरे पास कोई बहाना नहीं था, इसलिए मुझे यहां आना पड़ा।”

आशा भोसले समारोह से रहीं नदारद
लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में मंगेशकर परिवार के लगभग सभी सदस्य मौजूद रहे, लेकिन आशा भोसले गायब रहीं। अस्वस्थ होने के कारण वो कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं। बीते साल आशा भोसले को इस सम्मान से नवाजा गया था।

सबसे पहले नरेंद्र मोदी हुए थे सम्मानित
लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार हर साल देश, उसके लोगों और समाज के लिए सराहनीय योगदान करने वाले शख्स को दिया जाता है। इस सम्मान से सबसे पहले साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नवाजा गया था। उनके बाद 2023 में आशा भोंसले को यह पुरस्कार दिया गया था।

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