यूपी के हर जिले में होगी रसोई मसालों की जांच

हांगकांग और सिंगापुर द्वारा भारत के कुछ रसोई मसालों पर प्रतिबंध के बाद प्रदेश में भी जांच अभियान छेड़ा गया है। ऑस्ट्रेलिया ने भी मसालों की जांच शुरू कर दी है। गंभीरता को देखते हुए यूपी के सभी छोटे-बड़े रसोई मसाला निर्माताओं की फैक्टरियों से सैम्पल सीज किए जाएंगे। हर जिले में जांच के निर्देश खाद्य आयुक्त ने दिए हैं। सभी सैम्पलों की जांच देश की विभिन्न लैब से कराई जाएगी। इन मसालों में खास तौर पर घातक एथीलीन आक्साइड कीटनाशक की जांच होगी। रिपोर्ट को एफएसएसएआई भेजा जाएगा। यूपी में रसोई मसाले की इंडस्ट्री 10 हजार करोड़ से ज्यादा है।

एथीलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल मसालों में फूड स्टेबलाइजर के रूप में होता है। इसका लंबे वक्त तक सीमा से अधिक सेवन करने पर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा रहता है। उत्तर प्रदेश रसोई मसालों की ब्रांडिंग और ट्रेडिंग का बड़ा केंद्र है। छोटे बड़े 40 से ज्यादा ब्रांड अकेले यूपी से निकल रहे हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग का मानना है कि यदि दिग्गज भारतीय ब्रांड्स के उत्पादों की गुणवत्ता संदिग्ध है, तो भारतीय बाजार में उपलब्ध मसालों को लेकर भी संदेह पैदा हो गया है।

इसे दूर करने के लिए विभाग ने प्रदेश के सभी 80 जिलों में सभी रसोई मसालों की गुणवत्ता जांच के निर्देश दिए हैं। इसे युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द लैब टेस्ट कराकर रिपोर्ट प्राप्त की जाए। इस रिपोर्ट के आधार पर ही मसालों के भविष्य पर फैसला होगा। खास तौर पर कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, हाथरस, हापुड़, आगरा, मेरठ, प्रयागराज आदि शहरों में खास तौर पर जांच की जाएगी क्योंकि यूपी में बनने वाले 80 फीसदी से ज्यादा ब्रांड इन्हीं शहरों के हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक और निर्यातक है। अंतराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन ने मसालों की 109 किस्मों को सूचीबद्ध किया है। इसमें से लगभग 75 का उत्पादन यहां में होता है। भारत के मसालों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों ने पूरी मसाला इंडस्ट्री को संकट में डाल दिया है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अपर मुख्य सचिव अनीता सिंह का कहना है कि रसोई मसालों में घातक केमिकल पाए जाने के बाद कुछ देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने का मामला गंभीर है। आम लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखते हुए पूरे प्रदेश में रसोई मसालों के सैम्पल भरने के निर्देश दिए गए हैं। इन सैम्पलों की जांच एनएबीएल प्रयोगशालाओं में कराई जाएगी जिसकी रिपोर्ट एफएसएसएआई को भेजी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी।

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