‘अमूर्त विरासत को बचाना मानवता की सांस्कृतिक विविधता की रक्षा’, यूनेस्को के आइसीएच सत्र में पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को के आइसीएच सत्र में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को बचाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह मानवता की सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करने के समान है। भारत इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, जो सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना दुनिया की सांस्कृतिक विविधता को बचाने जैसा है, क्योंकि यह समाजों की नैतिक और भावनात्मक स्मृतियों को अपने भीतर समेटे रखती है।
लाल किला परिसर में रविवार को शुरू हुए यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आइसीएच) की 20वीं अंतर-सरकारी समिति के उद्घाटन समारोह में उनका लिखित संदेश पढ़ा गया।
पहली बार भारत कर रहा यूनेस्को के सत्र की मेजबानी
भारत पहली बार यूनेस्को के इस प्रमुख सत्र की मेजबानी कर रहा है। प्रधानमंत्री का संदेश संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने पढ़कर सुनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विदेश मंत्री एस. जयशंकर, संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और यूनेस्को के महानिदेशक खालिद एल-एनानी भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संगठन ने अमूर्त विरासत को संरक्षित करने के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करने में परिवर्तनकारी योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम प्राचीन धरोहर और आधुनिक आकांक्षाओं के बीच सेतु हैं और यही संतुलन भविष्य की सांस्कृतिक सुरक्षा का आधार बनेगा।
उन्होंने कहा कि सभ्यता की यात्रा यह समझ कर आगे बढ़ी है कि संस्कृति केवल स्मारकों या पांडुलिपियों में नहीं बसती, बल्कि त्योहारों, अनुष्ठानों, कलाओं और हस्तशिल्प जैसी रोजमर्रा की अभिव्यक्तियों में पनपती है। अमूर्त विरासत वही धरोहर है जो पहचान को आकार देती है, समाज में सद्भाव बढ़ाती है और पीढि़यों के बीच निरंतरता बनाए रखती है।
‘संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति है अमूर्त विरासत’
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि परंपराएं, भाषाएं, संगीत, शिल्पकला और अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के अन्य स्वरूप मानव संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति हैं, जो सभी की साझा संपत्ति हैं और सभी द्वारा संरक्षित की जाती हैं। जयशंकर ने यूनेस्को की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि विरासत को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी वैश्विक समुदाय की सामूहिक प्रतिबद्धता है।
बता दें कि आठ से 13 दिसंबर तक चलनेवाले सत्र के दौरान विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में नामांकन पर विचार करेंगे, मौजूदा प्रविष्टियों की स्थिति की समीक्षा करेंगे और संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्णय लेंगे।
भारत-जापान फोरम में सहयोग बढ़ाने पर चर्चाविदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लेते हुए दोनों देशों के बीच गहरे सहयोग पर बल दिया।
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि नई विश्व व्यवस्था के उभार और भारत-जापान सहयोग के गहरे निहितार्थ पर चर्चा की गई। बता दें कि भारत-जापान फोरम दोनों देशों को द्विपक्षीय और रणनीतिक साझेदारी के भविष्य को आकार देने का अवसर प्रदान करता है। दोनों पक्षों के 70-80 उच्च स्तरीय अधिकारी इस बंद दरवाजे वाली बैठक में हिस्सा लेते हैं।



