कहानी गहनों की: सिंपल नेकलेस नहीं, सदियों से स्टेटस सिंबल रहा है चोकर

चोकर एक ऐसा गहना है, जो दिखने में छोटा है, मगर फैशन की दुनिया में इसकी पहचान सदियों से बेहद प्रभावशाली रही है। चाहे बात हो प्राचीन सभ्यताओं की, विक्टोरियन दौर की रईस महिलाओं की या फिर 1990 के दशक के पंक फैशन की, चोकर हर युग में एक अलग अंदाज के साथ वापस लौटता रहा है। जी हां, इसकी लोकप्रियता जितनी दिलचस्प है, इसका इतिहास उससे कहीं ज्यादा गहरा है।

फैशन की दुनिया में चोकर नेकलेस हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। चाहे वह विक्टोरियन युग की अमीर महिलाएं हों या 1990 के दशक के पंक रॉकस्टार, चोकर ने हर दौर में अपनी जगह बनाई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह केवल आधुनिक फैशन नहीं है?

इसका इतिहास 2500 ईसा पूर्व से भी पुराना है। सुमेरियन ज्वैलर्स इसे तब बनाते थे जब यह आज की तरह युवाओं के बीच मशहूर भी नहीं था। प्राचीन मिस्र, सुमेरियन और मिनोअन जैसी लगभग सभी शुरुआती सभ्यताओं ने चोकर को अपनी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बनाया था (History of Choker Necklace)। आइए, ‘कहानी गहनों की’ सीरीज में विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

हजारों साल पुराना है चोकर का इतिहास

चोकर का इतिहास 1990 के दशक से कहीं पुराना है। जी हां, इसका अस्तित्व कम से कम 2500 ईसा पूर्व तक जाता है। सुमेरियन ज्वैलर्स उस समय सोने से बने चोकर तैयार करते थे, जिनमें कभी-कभी लैपिस लाजुली जैसे कीमती पत्थर भी लगे होते थे।

मिस्रवासियों, सुमेरियों और मिनोअन सभ्यताओं ने भी चोकर को अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में पहना। इन सभ्यताओं का मानना था कि ऐसे गहने केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा और शक्तियों का स्रोत भी होते हैं। इस प्रकार, चोकर की प्रारंभिक भूमिका आध्यात्मिक और अलंकारिक दोनों थी।

वह गहना जिसे रानियों और वेश्याओं दोनों ने अपनाया

हालांकि, प्राचीन सभ्यताओं में चोकर पहने जाते थे, लेकिन आधुनिक चोकर जैसा स्वरूप पिछले कुछ सौ वर्षों में ही विकसित हुआ। चोकर पहनने वाली सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में ऐन बोलेयन का नाम प्रमुख है। उनके चित्रों में वे मोतियों से बना एक ‘B’ अक्षर वाला चोकर पहने दिखाई देती हैं, जिससे संकेत मिलता है कि 1500 के दशक में भी चोकर राजघरानों के फैशन का हिस्सा था। 1800 के दशक में चोकर को लेकर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखी गईं।

विक्टोरियन जमात में यह शाही फैशन का प्रतीक था। वहीं दूसरी ओर, वेश्याओं द्वारा पहने जाने वाले सिंपल रेड या काले रिबन वाले चोकर ने इसे एक अलग, विवादित छवि दी। 19वीं सदी के अंत तक क्वीन एलेक्जैंड्रा ने इसे फिर लोकप्रिय बना दिया। वे अपनी गर्दन पर पड़े एक निशान को छिपाने के लिए चोकर पहनती थीं। इसी प्रभाव के चलते मोतियों वाले चोकर 1910 के दशक तक ट्रेंड में रहे।

समय-सबसे पर बदला चोकर का अंदाज

1920 और 1940 के दशक में चोकर एक विद्रोही फैशन के रूप में उभरा। तब इन्हें “कॉलिए दे शियां” यानी डॉग कॉलर कहा जाता था। ये चोकर महंगे मखमल और लेस से बने होते थे और अमीर परिवारों की युवतियों के बीच बेहद लोकप्रिय थे।

1960–70 के दशक में हिप्पी कल्चर और रॉक म्यूजिक ने चोकर को फिर नया जीवन दिया। मशहूर सितारे जैसे मिक जैगर और जिमी हेंड्रिक्स अक्सर पंखों, मोतियों या स्टड वाले चोकर पहनते दिखते थे।

1990 के दशक में एक बार फिर इसकी वापसी हुई, लेकिन इस बार प्लास्टिक के इलास्टिक चोकरों के रूप में, जो बड़े पैमाने पर बनाए जाते थे और युवाओं में विद्रोह का प्रतीक बन गए।

2010 के दशक में यह गहना फिर ट्रेंड में आया। अब यह न तो रॉयल्टी से जुड़ा माना जाता है, न ही किसी उप-संस्कृति का प्रतिनिधि- सिवाय उन मॉडलों के जो इसे हीरे या मोतियों के साथ पहनकर ग्लैमर जोड़ती हैं।

चोकर का अर्थ और इसकी बनावट

‘चोकर’ शब्द को अगर तोड़ा जाए तो इसका अर्थ “choke ‘er” यानी गला घोंटना जैसा निकलता है, और यह सच भी है, क्योंकि यह गर्दन पर बहुत कसकर पहना जाता है, जिससे कभी-कभी यह पहनने में असहज हो सकता है। यह आभूषण आमतौर पर पतली और लंबी गर्दन वाली महिलाओं पर ही ज्यादा जंचता है, इसलिए इसकी लोकप्रियता थोड़ी सीमित भी हो सकती है।

भारतीय फैशन में चोकर

भारतीय फैशन में चोकर एक बेहतरीन ‘फर्स्ट नेकलेस’ माना जाता है। इसे सतलड़ा या गुथुपुसालु जैसे लंबे हारों के साथ लेयर करके पहना जा सकता है। यह शादियों, संगीत या रिसेप्शन के लिए एक आदर्श विकल्प है और इसे पारंपरिक भारतीय कपड़ों के साथ-साथ वेस्टर्न गाउन पर भी पहना जा सकता है।

कैसे करें चोकर को स्टाइल?

लेयरिंग का सही तरीका: अगर आप चोकर के साथ कोई लंबा हार पहन रही हैं, तो ध्यान रखें कि दोनों के मेटल का रंग एक जैसा हो। साथ ही, दोनों के रत्न भी एक ही कलर फैमिली के होने चाहिए, वरना यह देखने में अजीब लग सकता है।

सही नेकलाइन: भारतीय चोकर या तो बहुत डीप नेकलाइन पर अच्छे लगते हैं या फिर बिल्कुल हाई नेक पर। बीच की नेकलाइन के साथ यह ज्यादा नहीं जंचते। ‘स्वीटहार्ट नेकलाइन’ के साथ चोकर पहनने से बचें क्योंकि वहां पहले से ही काफी डिटेलिंग होती है।

रंग और बनावट: अगर आपके कपड़े बहुत ज्यादा सीक्वेंस या चमक वाले हैं, तो भारी चोकर पहनने से बचें। अगर फिर भी पहनना हो, तो सुनिश्चित करें कि चोकर के रत्नों का रंग आपके कपड़ों की डिटेलिंग से मिलता-जुलता हो।

मॉडर्न बनाम ट्रेडिशनल: साड़ियों के साथ सख्त और एजी चोकर बहुत आधुनिक लगते हैं। वहीं, लहंगे या शरारा के साथ ऐसे चोकर पहनें जिनमें लटकने वाले रत्न या एलिमेंट्स हों, यह भारी दुपट्टे के साथ भी शानदार लुक देते हैं।

चोकर का सफर हजारों साल पुराना है। यह गहना समय-समय पर बदलता रहा है, लेकिन इसका आकर्षण आज भी उतना ही मजबूत है। चाहे आप इसे परंपरागत रूप में पहनें या आधुनिक अंदाज में, चोकर हमेशा आपकी शैली में एक खास पहचान जोड़ देता है।

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