वृद्धों में एंटी एलर्जी दवाओं से डिमेंशिया का खतरा

कुछ एंटी एलर्जी दवाएं बुजुर्गों में डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाने की क्षमता रखती हैं, एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया। अनुमानित रूप से डिमेंशिया विश्वभर में पांच करोड़ 74 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित करता है, यह संख्या 2050 तक लगभग तीन गुना बढ़कर 15 करोड़ 28 लाख मामलों तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रारंभिक संकेतों में याददाश्त को नुकसान, शब्दों को खोजने में कठिनाई, भ्रम और मूड तथा व्यवहार में बदलाव शामिल हैं।

भ्रम का अधिक खतरा

अमेरिकन जेरियाट्रिक्स सोसाइटी के जर्नल में एक विश्लेषण से पता चला है कि पहले पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन की अधिक मात्रा देने वाले डाक्टरों द्वारा भर्ती किए गए बुजुर्ग मरीजों को अस्पताल में भ्रम का बढ़ा हुआ जोखिम होता है। अमेरिकन जेरिएट्रिक्स सोसायटी के जर्नल में किए गए विश्लेषण से पता चला है कि जिन वृद्ध रोगियों को चिकित्सक प्रथम पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन की अधिक मात्रा लिखते हैं, उनके द्वारा अस्पताल में रहते हुए भ्रम (भ्रम की गंभीर स्थिति) का खतरा अधिक होता है।

328,140 के डाटा का विश्लेषण

टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, पहली पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन जैसे कि डाइनहाइड्रामाइन बुजुर्गों में दवा-संबंधी नुकसान के प्रमुख कारणों में से हैं और हालांकि ये दवाएं हिस्टामाइन संबंधी स्थितियों जैसे कि पित्ती व एनाफिलेक्सिस के लिए संकेतित हैं, लेकिन इन्हें अनुचित तरीके से निर्धारित किया जा सकता है। टीम ने 2015-2022 के बीच कनाडा के ओंटारियो के 17 अस्पतालों में 755 डाक्टरों द्वारा भर्ती किए गए 65 वर्ष व उससे अधिक आयु के 328,140 मरीजों के डाटा का विश्लेषण किया।

मरीजों पर एंटीहिस्टामाइन का ज्यादा असर

उन्होंने पाया कि भ्रम की कुल व्यापकता 34.8 प्रतिशत थी। पहले पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन को अधिक मात्रा में देने वाले डाक्टरों द्वारा भर्ती किए गए मरीजों में भ्रम का अनुभव करने की संभावना 41 प्रतिशत अधिक थी, जबकि जिन मरीजों को ऐसे चिकित्सकों द्वारा भर्ती किया गया था जो पहले पीढ़ी के एंटीहिस्टामाइन शायद ही कभी लिखे गए थे। अस्पताल में भर्ती बुजुर्गों में भ्रम की स्थिति 50 प्रतिशत तक होती है, जो बुजुर्गों में मृत्यु दर और दीर्घकालिक संज्ञानात्मक हानि जैसे प्रमुख प्रतिकूल परिणामों से जुड़ी हुई है।

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