सूर्य की पूजा करने से जीवन शक्ति, मानसिक शांति और जीवन में मिलती हैसफलता

रविवार का दिन सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव का पूजन कर उन्हें खुश किया जा सकता है। कहा जाता है रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा, व्रत (Suryadev Vrat) और मंत्र  (Suryadev Mantra) आदि का जाप किया जाता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि सूर्यदेव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं। ग्रंथों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है। कहा जाता है कि सूर्य की पूजा करने से जीवन शक्ति, मानसिक शांति और जीवन में सफलता मिलती है। ऐसे में जो लोग पूरे हफ्ते सूर्यदेव को जल नहीं चढ़ा सकते, वे रविवार के दिन अवश्य चढ़ाएं। इससे उनकी मनोकामना पूरी होगी। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य देव के वह मन्त्र जिनके जाप से आपको लाभ होगा।

सूर्य आरोग्य दायक मंत्र (Surya Mantra)

ऊँ नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे।
आयु ररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:

श्री सूर्यदेव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान।।।।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।। 

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