राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भौगोलिक स्थिति के हिसाब से सबसे उपयुक्त स्थान है कोटाबाग पैराग्लाइडिंग साइट…

राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए कोटाबाग पैराग्लाइडिंग साइट भौगोलिक स्थिति के हिसाब से सबसे उपयुक्त स्थान है। यहां से पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। यदि सरकार चाहे तो की यहां पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण देकर युवाओं को रोजगार दे सकती है।

साहसिक खेलों में पैराग्लाइडिंग सबसे ज्यादा रोमांचक माना जाता है। जिसके लिए उत्तराखंड की भौगोलिक स्थितियां भी मुफीद हैं। लेकिन इन सब के बावजूद भी उत्तराखंड में एयरो स्पोर्ट्स (पैराग्लाइडिंग) का उतना विकास नहीं हो सका जितना कि हिमाचल प्रदेश में हुआ। हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा कस्बा बीर-बिलिंग सिर्फ पैराग्लाइडिंग के कारण पूरी दुनिया में विख्यात है। जिसे पैराग्लाइडिंग पैराडाइस ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इसी कारण 2016 में पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप की मेजबानी का अवसर भी हिमाचल को मिला।

कोटाबाग हिमाचल से कम नहीं

कोटाबाग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के सचिव राहुल रावत कहते हैं कि कोटाबाग स्थित साइट किसी भी मामले में बीर बिलिंग हिमाचल से कम नहीं है। यहाँ पर अंतरराष्ट्रीय एयरो स्पोर्ट्स का आयोजन भी किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सरकारी प्रयासों को गंभीर होने होगा । कोटाबाग जैसे छोटे स्थान पर प्रशिक्षण ले रहे स्थानीय युवाओं की नजर सरकार पर टिकी है कि कब इस क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक खेल को शुरू करे और यहाँ के नौजवान देश दुनिया में उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर सकें।

उत्तराखण्ड में नहीं है प्रशिक्षण केंद्र

पैराग्लाइडिंग के लिए उत्तराखण्ड में प्रशिक्षण केंद्र न होने के कारण यहां के युवाओं को हिमांचल प्रदेश जाना पड़ता है। वहीं कोटाबाग में पैराग्लाइडिंग एंड एडवेंचर एसोसिएशन पायलट प्रशिक्षण केंद्र खोलकर युवाओं को पायलट प्रशिक्षण दे रहा है। एसोसियेशन के सचिव राहुल बताते हैं कि उनकी संस्था में प्रशिक्षण दे रहे प्रशिक्षक अनुभवी तो हैं ही साथ ही वह केंद्र सरकार के आधीन राष्ट्रीय संस्था NIMAS (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉन्टेनीयरिंग एंड अलाएड स्पोर्ट्स) में भी प्रशिक्षण दे चुके है। ऐसे अनुभवी कोच का लाभ स्थानीय युवाओं को मिल सकता है लेकिन संस्था के पास सीमित संसाधन और उपकरण की वजह से वह आगे बढ़ पाने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं।

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