ज्ञानवापी विवाद पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा-मुझे रखना होगा न्यायालय पर भरोसा 

Governor of Kerala Arif Mohammad Khan ज्ञानवापी विवाद पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मुझे न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए । वह शनिवार को सिगरा स्थित अंतरराष्ट्रीय सहयोग रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पाणिनि कन्या महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती के दीक्षा समारोह के बाद पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे I

समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान का केंद्र रही है । भारत की पहचान भी ज्ञान से ही है । हमारा पतन उस दिन से शुरू हुआ, जब हमने ज्ञान को अपने अंदर कैद करना शुरू कर दिया। भारतीय ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि शिक्षा का अर्थ सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं है । शिक्षा का अर्थ ज्ञान प्राप्त करना है । ज्ञान का उद्देश्य विविधता में एकता की तलाश करना है । डा. राधा कृष्णन ने कहा था सत्य को आचरण में उतारना ही ज्ञान है । महिला शिक्षा पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि विद्या का नेतृत्व मां सरस्वती के हाथों में ही है । वही लक्ष्मी वैभव धावक है I जब शक्ति स्वयं नारी का प्रतीक है । नारी शक्ति के बिना विकास संभव नहीं है । नारी को अबला हमने बनाया है । जब विज्ञान भी यह मान चुका है कि पुरुषों की तुलना में नारी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है ।

उन्‍हाेंने कहा कि जैसे हम घर व शरीर की सफाई करते है । उसी तरह हमें अपने भीतर की भी सफाई समय-समय पर करनी चाहिए । महिलाएं तो हर माह अंदर से भी शुद्ध हो जाती है । जबकि पुरुष बाहर से ही शुद्ध होता है। महिलाओं का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए हमें अंदर व बाहर दोनों से शुद्ध होना पड़ेगा I कहाकि भारतीय संस्कृति हमें आहिंसा का पाठ पढ़ती है । हिंसा के माध्यम से जीत हासिल करने के बाद भी हमें पक्षताना पड़ता है हालांकि इसका अर्थ यह नहीं कि हम मौन रहे। हमारी संस्कृति अपनी रक्षा के लिए शस्त्र उठाने के लिए प्रेरित करता है । यह बड़े हर्ष की बात है कि पाणिनि कन्या महाविद्यालय में शस्त्र व शास्त्र की शिक्षा माहिलाओं को अबला से सबला बना रही है।

इस मौके पर राज्‍यपाल ने महाविद्यालय की 50 छात्राओं को उपाधि पत्र देकर सम्मानित किया। वही अतिथियों ने स्वर्ण जयन्ती स्मारिका का भी विमोचन किया । समारोह में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय (हरिद्वार ) के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री, स्वामी संपूर्णानंद, सुनील ओझा, सुरेश चन्द्र अग्रवाल, अजय सहगल ने भी विचार व्यक्त किया I स्वागत प्राचार्य आचार्या नन्दिता, संचालन आचार्य वाचोनिधि व धन्यवाद ज्ञापन उपाचार्या डा. प्रीति विमर्शिनी ने किया। समारोह में पूर्व महापौर राम गोपाल मोहले, अवधेश रावत, विजय राय, अजीत श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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