लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर रोके गए छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल….

छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल को लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर रोक लिया गया। सुरक्षाकर्मियों ने उन्‍हें रोका तो वे वहीं धरने पर बैठ गए। हालांकि मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वे लखीमपुर में नहीं जा रहा हूं, धारा 144 वहां लगी है मैं लखनऊ के लिए आया हूं। वहीं जब सुरक्षाकर्मियों ने उन्‍हें आदेश का हवाला दिया तो वे फर्श पर बैठ गए। उत्‍तर प्रदेश सरकार के मना करने के बावजूद भी सीएम भूपेश बघेल लखीमुपर में किसानों से मिलने जा रहे थे।

वहीं इससे पहले मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कहा कि मैं लखनऊ के लिए निकल चुका हूं। किसानों के साथ न्याय होकर रहेगा। उन्‍होंने कहा कि (लखीरपुर खीरी) के दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता उसी राज्य (उत्तर प्रदेश) में ‘ आजादी का अमृत महोत्सव ‘ मना रहे हैं, जहां न्याय से इनकार किया गया है। आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने से पहले आइए एक बार लखीमपुर चलते हैं।

टीएमसी सांसद पहुंचीं खीरी, पोस्टमार्टम प्रक्रिया पर उठाया सवाल

लखीमपुर : बता दें कि लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद राजनीति तेज हो गई है। सोमवार देर रात तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी खीरी पहुंचा था। कोलकाता से तीन सांसदों डोला सेन, प्रतिमा मंडल व अबीर रंजन विश्वास का दल प्रदेश अध्यक्ष नीरज राय की अगुवाई में तिकुनिया घटनास्थल देखने गया। वहीं दूसरा दल लखीमपुर स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर मारे गए किसानों के परिवारजन से मिलने पहुंचा। तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने पोस्टमार्टम प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि एक घंटे के अंदर चार शवों का पोस्टमार्टम किया जाना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि मैं भी एक डॉक्टर हूं और मुझे यह पता है कि कानून के अनुसार सूर्य जब रहता है तभी पोस्टमार्टम किया जा सकता है। अंधेरे में पोस्टमार्टम नहीं हो सकता है। पोस्टमार्टम का एक अलग ही तरीका है। उन्होंने कहा कि जहां जुल्म होता है, वहां पर विरोधी तो आएंगे ही। परिवारजन से मिलना उनका हक है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। वहीं दूसरी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब भी इस तरह की घटना होती है तो सबसे पहले सरकार घरवालों से मिलने पर पाबंदी लगा देती है। हाथरस की घटना में भी यही हुआ था और लखीमपुर कांड में भी सरकार का यही रवैया देखा गया।

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