भारत और यूरोपीय संघ तकनीक से लेकर सैन्य सहयोग तक के मामले में साझा नजरिये अपनाने को तैयार…

 भारत और यूरोपीय संघ के बीच हजारों मील की दूरी है लेकिन हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर इनके साझा हित अब इन्हें ऐतिहासिक तौर पर करीब लाने का कारण बनती दिख रहा है। पिछले दो दिनों में स्वीडेन से लेकर ब्रसेल्स तक में दोनो पक्षों के बीच बैठकों का जो दौर चला है वह बता रहा है कि किस तरह से भारत और यूरोपीय संघ तकनीक से लेकर सैन्य सहयोग तक के मामले में साझा नजरिये अपनाने को तैयार हैं।

ब्रुसेल्स में जयशंकर, गोयल व चंद्रशेखर की अगुवाई में मंगलवार को बैठक

इन बैठकों में हिस्सा लेने के लिए भारत के तीन वरिष्ठ मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना तकनीक व संचार राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर यूरोपीय देशों की यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुवाई में भारत और इयू के प्रशांत क्षेत्र के मंत्रियों की एक विशेष बैठक हुई। पिछले वर्ष यूरोपीय संघ ने अपने सदस्य देशों की पहली हिंद प्रशांत क्षेत्र की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री को खास तौर पर आमंत्रित किया था।

आर्थिक व तकनीक क्षेत्र में चीन के विकल्प तलाशने में जुटे दोनो पक्ष

जानकारों का कहना है कि अब दोनो पक्षों में इस बारे में सालाना बैठकें होंगी। मंगलवार को भारत और यूरोपीय संघ के बीच गठित कारोबार व तकनीक परिषद की पहली बैठक देर रात में शुरु हुई है। इस परिषद का गठन फरवरी, 2023 मे ही किया गया है। जानकारों का कहना है कि पहली बैठक का एजेंडा ही काफी व्यापक है। इसमें मोबाइल टेक्नोलोजी से लेकर अत्याधुनिक संचार तकनीक में एक समान नीतियां बनाने का मुद्दा भी शामिल है।

मुख्य तौर पर दोनो पक्ष इस बारे में भी बात कर रहे हैं कि लोकतांत्रिक तरीके से संचार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को किस तरह से पारदर्शी बनाया जाए और इस बारे में दूसरे देशों की संदेहास्पद तकनीक को किस तरह से व्यवस्था से बाहर किया जाए। दोनो पक्ष स्वीकार तो नहीं कर रहे लेकिन साफ है कि इनके निशाने पर चीन की तकनीक कंपनियां हैं जिनके उत्पादों व सेवाओं को लेकर वैश्विक स्तर पर संदेह जताया जाता है।

यूरोपीय देश ने साफ तौर पर भारतीय पक्षकारों को कहा

इस बैठक के एजेंडे में 6जी आधारित साझा मोबाइल तकनीक को विकसित करना भी है। यूरोपीय देश ने साफ तौर पर भारतीय पक्षकारों को कहा है कि एक लोकतांत्रिक देश होने की वजह से वो संवेदनशील तकनीक पर भारत के साथ सहयोग करने को ज्यादा वरीयता देते हैं।भारत और इयू के बीच अभी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर भी बातचीत चल रही है। इसकी समीक्षा भी जयशंकर और गोयल की ब्रुसेल्स में हुई द्विपक्षीय व बहुपक्षीय बैठकों में भी की गई है।

यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 116 अरब डॉलर का है। अमेरिका के बाद इयू भारत का दूसरा सबसे बड़ा कारोबार साझेदार है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को हुई बैठकों के बाद एफटीए को लेकर चर्चा की रफ्तार तेज होगी। कारोबार व तकनीक परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा है कि यह बहुत ही ऐतिहासिक बैठक है और हमें वैश्विक तकनीक क्षेत्र में भरोसे व पारदर्शिता को कायम करने के लिए कदम उठाने हैं।

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