अब बर्फ-आंधी-तूफान में भी एलएसी पर होगी फास्ट आर्मी मूवमेंट, भारत ने बना दी सेला सुरंग

भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र की ओर बेहतर पहुंच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में सेला सुरंग का उद्घाटन करेंगे।

इस सुरंग को अरुणाचल प्रदेश की प्रगति के साथ ही इस भारतीय सेना के लिए भी बेहद अहम माना जा रहा है। इस सुरंग का रणनीतिक महत्व है क्योंकि इससे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पूर्वी क्षेत्र में तेजी से सैनिकों की तैनाती हो सकेगी।

सेला सुरंग की खासियत
असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित सुरंग की आधारशिला पीएम मोदी ने फरवरी, 2019 में रखी थी। इससे तेजपुर से तवांग तक यात्रा के समय में एक घंटे से अधिक की कमी आएगी। केंद्र के सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की इस परियोजना में दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है।

सुरंग 1, 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब होगी, जबकि सुरंग 2, 1.5 किमी लंबी होगी जिसमें यातायात और आपातकालीन सेवाओं के लिए एक बाईलेन ट्यूब होगी। दोनों सुरंगों के बीच 1,200 मीटर लंबी लिंक रोड होगी। तवांग जिले को शेष अरुणाचल प्रदेश से जोड़ने वाली यह सुरंग हर मौसम में आवागमन के लिए उपलब्ध रहेगी।

सफर का समय होगा कम
सेला सुरंग सफर के समय को भी पहले के मुकाबले काफी कम कर देगा। यह सुरंग अरुणाचल के पश्चिम कामेंग जिले में तवांग और दिरांग के बीच की दूरी को 12 किमी तक कम करेगा, जिससे लगभग 90 मिनट बच सकते हैं। बता दें कि सेला सुरंग दुनिया की सबसे लंबी डबल-लेन सुरंग है।

भारतीय सेना को मिलेगा मदद
यह सेला सुरंग (Sela Tunnel) भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस सुरंग से चीन बॉर्डर पर आर्मी का मूवमेंट आसान हो जाएगा। दरअसल, इस सुरंग के जरिए हर मौसम में भारतीय सेना और उनके जरूरत के सभी सामान आसानी से पहुंच सकेंगे। सबसे अहम बात यह है कि इस सुरंग के जरिए हर एक मौसम में आसानी से तवांग से कनेक्टिविटी रखने में मदद मिलेगी।

हर मौसम में रहेगी कनेक्टिविटी
यहां पर तापमान कभी-कभी -20 डिग्री तक गिर जाता है, ऐसे में गाड़ियों के पेट्रोल-डीजल तक जम जाते हैं। उन परिस्थितियों में भारतीय सेना तक पहुंच बनाना बहुत बड़ी चुनौती हो जाती थी, लेकिन अब सभी मौसम में चलने वाली सेला सुरंग से असम के गुवाहाटी और तवांग में तैनात भारतीय सेना से हर मौसम सम्पर्क रखना आसान और संभव हो गया है।

खास विधि से हुआ तैयार
सीमा सड़क संगठन का कहना है कि सेला सुरंग भारत में शुरू की गई सबसे चुनौतीपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है। इस बनाते समय कई अहम बातों का ध्यान में रखना था, अंत में इसे नई ऑस्ट्रियाई सुरंग बनाने की विधि का उपयोग करके बनाया गया। इस सुरंग को बनाने में लगभग 50 से अधिक इंजीनियर और 800 चालक दल जुटे थे।

कई चुनौतियों के बाद तैयार
इतना ही नहीं, पिछले साल जुलाई में बादल फटने के कारण हुए भूस्खलन में कई रास्ते प्रभावित हो गए थे। इसके कारण निर्माण कार्य भी रोक दिया गया था, क्योंकि सामान का सप्लाई संभव नहीं हो सका था। इसके अलावा, हाल ही में उत्तराखंड के सिल्क्यारा सुरंग में हुए हादसे को देखते हुए इस सुरंग का दोबारा निरीक्षण किया गया कि क्या इसके साथ भी उस तरह की घटना होने की संभावना है, लेकिन अब सुरंग उद्घाटन के लिए तैयार है।

2 हजार बड़े वाहनों के लिए सक्षम
सीमा सड़क संगठन ने इस सुरंग को बनाने में 825 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसे उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को भी ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। दरअसल, इसमें अच्छी वेंटिलेशन सिस्टम, लाइट सिस्टम और अग्निशमन प्रणाली भी है। इस सुरंग से रोजाना लगभग 3 हजार छोटी गाड़ियां और लगभग 2 हजार बड़े ट्रक और वाहन आवाजाही कर सकते हैं।

Related Articles

Back to top button
T20: भारत का क्लीन स्वीप जानिये कितने खतरनाक हैं कबूतर। शतपावली: स्वस्थ रहने का एक आसान उपाय भारतीय मौसम की ALERT कलर कोडिंग In Uttar Pradesh Call in Emergency