महिलाओं को ज्यादा प्रभावित कर सकता है ल्युपस, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीका
ल्युपस (Lupus) एक प्रकार का ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है, जिससे शरीर में इन्फ्लेमेशन हो जाता है। यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से जैसे जोड़ों, पेट,स्किन,किडनी,हार्ट,लंग्स, ब्रेन को प्रभावित कर सकता है। ल्युपस किसी भी उम्र और लिंग के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है, लेकिन 15 से 44 के उम्र की महिलाओं में यह ज्यादा पाया जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में जानेंगे इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में-
क्या है ल्युपस?
जब शरीर का इम्यून सिस्टम शरीर के हेल्दी सेल्स और अंगों पर आक्रमण करने लगता है और पूरे शरीर में डैमेज और इन्फ्लेमेशन पैदा करता है, तो ये ऑटो इम्यून सिस्टम के साथ छेड़छाड़ कहलाता है। ल्युपस के साथ जीना मतलब आए दिन थकान, जोड़ों में दर्द या स्किन रैशेज से जूझना। लंबे समय तक ऐसे लक्षण बने रहने से इंसान भावनात्मक रूप से भी कमजोर होने लगता है।
सही समय पर ल्युपस की जानकारी होना ही एक कठिन काम है, क्योंकि इसके लक्षण बहुत ही भिन्न और अस्थायी प्रकार के होते हैं, जिससे सही समय पर इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ल्युपस के लक्षणों की सही जानकारी और सही समय पर सही डायग्नोसिस होना इससे बचने का एक कारगर तरीका है-
ल्युपस के लक्षण
ल्युपस के लक्षण ऐसे तो कई प्रकार के होते हैं, लेकिन इसके कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- मलेर फेशियल रैश जिसे बटरफ्लाई रैश भी कहते हैं।
- गंभीर रूप से अधिक थकावट महसूस करना।
- ओरल और नेजल अल्सर या सोर।
- जोड़ों में दर्द, सूजन या संक्रमण।
- फोटोसेंसिटिविटी या सूर्य की किरणों से एलर्जी।
- बालों का झड़ना।
- ब्रेन फॉग और डिप्रेशन।
ल्युपस के लक्षणों से कैसे निपटें-
- स्ट्रेस मैनेज करें, रिलैक्सेशन तकनीक या मेडिटेशन की मदद लें।
- खूब पानी पिएं।
- अपने डॉक्टर को खुल कर सभी लक्षण बताएं।
- लक्षणों के अनुसार दवाइयां लें।
- अपने ट्रिगर पहचानें और इनसे दूरी बनाएं। जैसे अगर फोटोसेंसिटिविटी महसूस होती है, तो धूप में कम निकलें।