तेज बारिश में ढह गया 500 साल पुराने सलीमगढ़ किला का महत्वपूर्ण हिस्सा

500 साल पुराने सलीमगढ़ किला का महत्वपूर्ण हिस्सा तेज बारिश में ढह गया है। हुई तेज बारिश में दो स्थानों से किला क्षतिग्रस्त हो गया है जो सलीमगढ़ बाईपास पर गुजरने वाले वाहनों के लिए खतरनाक हो साबित हो सकता है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का कहना है कि इसके संरक्षण के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। एक माह के अंदर इसका संरक्षण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

सलीमगढ़ किला बनाए जाने के समय का बचा हुआ एकलौते गुंबद का अधिकतर भाग ढह गया है। इससे 40 साल पहले इसका कुछ हिस्सा ढह गया था। उसके बाद इसे बना दिया गया था। इस किला में अब एक यही गुंबद बचा था। जिसका अब अधिकतर भाग ढह गया है। इससे पांच मीटर की दूरी पर किले का सलीमगढ़ बाईपास के तरफ वाला हिस्सा भी ऊपर की तरफ से ढह गया है। जमीन से करीब 15 मीटर की ऊंचाई पर ढहे इस भाग से बिल्कुल नजदीक से वाहन चालक गुजरते हैं। अगर इसका बचा हुआ हिस्सा भी गिरता है तो दुर्घटना होने का खतरा है। इसके साथ ही किला की बाहरी दीवारों पर भी जगह जगह टूटफूट हो गई है।

बता दें कि इस किले को स्वतंत्रता सेनानी स्मारक नाम भी दिया गया है। इसकी दीवारें काफी मोटी हैं। यह किला लालकिला से पहले का बना हुआ है। जब इसका निर्माण हुआ, तब से इसका संरक्षण कई बार कराया गया। कभी इस किला के दोनों ओर यमुना बहती थी। आज के समय में यहां कुछ बैरकों और मस्जिद के ही अवशेष बचे हैं।

शेरशाह सूरी के वंशज सलीम शाह ने इसे 1546 ईस्वी में बनवाया था और उसी के नाम पर इसका नाम सलीम गढ़ का किला रख दिया गया था। औरंगजेब और अंग्रेजों ने इस किले का इस्तेमाल कैदियों को यातना और फांसी देने के लिए किया। तमाम लोगों को यहां कैद रखा गया और फांसी दी गई।

पिछले कई साल से यह किला उपेक्षा का शिकार है। यहां बड़े स्तर पर संरक्षण कराने की जरूरत है। इस किले पर ऐतिहासिक जेल भी है। जेल जर्जर हालत में है। माना जाता है कि यहां के कुछ कमरों में इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाहियों को भी रखा गया था। इस जेल में बनी बैरकें अंग्रेजों द्वारा जी गई प्रताड़ना की कहानी कहती हैं। स्वतंत्रता सेनानियों को इन बैरकों में अत्यधिक कष्ट दिए जाते थे। यह किला कुछ-कुछ टावर आफ लंदन से मिलता-जुलता है।

Related Articles

Back to top button