झारखंड हाईकोर्ट ने भवन निर्माण विभाग से इस अमले को ले कर माँगा ब्योरा

झारखंड हाईकोर्ट ने भवन निर्माण विभाग में एक ही स्थान पर तीन साल से जमे इंजीनियरों का ब्योरा मांगा है। भवन निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार को इसकी जानकारी शपथपत्र के माध्यम अदालत को सात नवंबर तक देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सोमवार को अदालतों की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। 

सचिव सुनील कुमार कोर्ट के पूर्व के आदेश के आलोक में अदालत में सशरीर हाजिर भी हुए। सुनवाई के दौरान अदालत ने सचिव से पूछा कि घाटशिला के जिला जज ने विभाग के जूनियर को इंस्पेक्शन के लिए बुलाया था, लेकिन वे समय पर नहीं आए। समय पर आने में इंजीनियर ने असमर्थता जताई। इस आचरण पर इंजीनियर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। गिरिडीह न्यायालय के मामले में भी अभियंता ने सटीक जवाब नहीं दिया। ऐसे लापरवाह अभियंताओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई। 

अदालत ने कहा कि न्यायालय के भवनों, कोर्ट के कर्मचारियों, अभियंताओं और यहां तक कि न्यायिक अधिकारियों और जजों के आवास की शिकायत को भी विभाग गंभीरता से नहीं ले रहा है। जो भी शिकायत की जाती हैं, उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के कई सिविल कोर्ट की चहारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाई गई है। साथ ही सिविल कोर्ट में सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि अभी भी कई जगह पर अदालतों में बाउंड्री वॉल, भवन निर्माण सहित कई कार्य सही ढंग से नहीं हो पाए हैं।

नया हाईकोर्ट भवन कब तक तैयार होगा 

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सचिव से जानना चाहा कि नया हाईकोर्ट भवन कब तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा। अदालत ने सचिव को अगली सुनवाई को इसकी भी जानकारी देने का निर्देश दिया। हालांकि नये हाईकोर्ट भवन के निर्माण को लेकर एक जनहित याचिका पर दूसरी खंडपीठ में भी सुनवाई लंबित है।

अदालतों की सुरक्षा और भवन निर्माण से जुड़ा है मामला 

यह जनहित याचिका अदालतों की सुरक्षा और न्यायालय परिसर में भवन और अन्य सुविधाएं देने के लिए दायर की गयी है। निचली अदालतों में आपराधिक वारदात होने के बाद बार काउंसिल और दूसरे अन्य लोगों ने जनहित याचिका दायर की है।

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