भौम प्रदोष व्रत पर घर ले आएं ये 3 चीजें

धार्मिक मत है कि भौम प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। अतः साधक भौम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव संग मां पार्वती की भक्ति-उपासना करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भौम प्रदोष व्रत पर कई विशेष उपाय करने का भी विधान है।

सनातन पंचांग के अनुसार, 04 जून को भौम प्रदोष व्रत है। यह पर वर्ष माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। प्रदोष व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। भौम प्रदोष व्रत करने से साधक को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। अतः साधक भौम प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भौम प्रदोष व्रत पर विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से जीवन में व्याप्त गरीबी दूर हो जाती है। आइए, इन 3 मंगलकारी चीजों के बारे में जानते हैं-

शिव यंत्र
अगर आप अपने जीवन में व्याप्त आर्थिक विषमता से निजात पाना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से महादेव और मां पार्वती की पूजा करें। इस समय भगवान शिव को भांग, धतूरे, बेलपत्र, पान और शमी के पत्ते अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। इसके पश्चात, शिव यंत्र पूजा स्थल पर स्थापित करें। अब विधिपूर्वक शिव जी की पूजा करें और आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए याचना करें। आप चाहे तो पूजा के बाद शिव यंत्र को तिजोरी में भी रख सकते हैं।

डमरू
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर डमरू रखना बेहद शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, आर्थिक तंगी भी दूर होती है। अतः भौम प्रदोष व्रत पर पूजा से पूर्व या पश्चात (पहले या बाद) घर में डमरू अवश्य लाएं। पूजा के दौरान घर के सभी कमरों में डमरू बजाएं।

त्रिशूल
वास्तु जानकारों की मानें तो घर पर छोटा त्रिशूल रखने से घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है। साथ ही आय और सौभाग्य में समय के साथ बढ़ोतरी होती है। इसके लिए भौम प्रदोष पर छोटा शिव त्रिशूल घर पर जरूर लायें। इसे पूजा स्थल के पास रखें। आप चाहे तो त्रिशूल पर लाल रंग की चुनरी भी लगा सकते हैं।

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