उत्तर प्रदेश में गो आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु विशेष बैठक आयोजित

लखनऊ में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के सभागार में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य गो आधारित प्राकृतिक खेती और पंचगव्य उत्पादों के सामाजिक और आर्थिक महत्व को जनमानस तक पहुंचाना था। इस बैठक की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त ने की, जिसमें प्रमुख अतिथि के रूप में गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार, नागपुर के कुलपति डॉ. सुनील मानसिंहका शामिल हुए। इस बैठक में गो आधारित उत्पादों जैसे दूध, घी, दही, गोबर और गोमूत्र से बनने वाले पंचगव्य उत्पादों और इनके समाजिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभों पर व्यापक चर्चा की गई।

डॉ. सुनील मानसिंहका ने पेटेंट गोमूत्र अर्क ‘गो कृपा अमृतम’ सहित कई पंचगव्य उत्पादों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन उत्पादों से होने वाले स्वास्थ्य लाभों, जैसे कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और मृदा की उर्वरता बढ़ाने में इनकी भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी।

बैठक में प्रदेश भर से आए सफल प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के अनुभव भी साझा किए गए। अध्यक्ष श्री गुप्त ने कहा कि प्रदेश में जहर मुक्त भोजन पहुंचाने के लिए गो आधारित खेती को बढ़ावा देना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गो आधारित कृषि का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद देना है बल्कि इससे ग्रामीण परिवारों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा।

डॉ. मानसिंहका ने उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली स्वदेशी गोवंश प्रजातियों, जैसे कि गंगातीरी, खैरीगढ़, खीरी और पंवार के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इन नस्लों के संरक्षण से न केवल जैव विविधता सुरक्षित होगी, बल्कि यह राज्य के पशुपालन को भी स्थिरता प्रदान करेगा।

गो आधारित उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए एक ठोस मार्केटिंग योजना पर चर्चा हुई। वरिष्ठ पत्रकार श्री राधेश्याम जी ने गोकुल मॉडल, ग्राम उत्सव, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना और गोवर्धन योजना जैसे मॉडल पर विचार प्रस्तुत किए। इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गो उत्पादों के महत्व को बढ़ावा देना और निराश्रित गोवंश की समस्या का समाधान करना है।

बैठक में सदस्य श्री राजेश सिंह सेंगर ने बुंदेलखंड प्रक्षेत्र में गोशालाओं के निरीक्षण से जुड़ी अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए। उन्होंने सुझाव दिया कि बड़े और छोटे गोवंशों को एक साथ न रखकर अलग-अलग शेड में रखना चाहिए और गोशालाओं के इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी मानकों की पुनः समीक्षा की जानी चाहिए। इससे गोशालाओं का प्रबंधन अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

आगामी योजनाएं

अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त ने कहा कि जल्द ही मंडल स्तर पर गो संरक्षण और संवर्धन समिति द्वारा गोशालाओं की नियमित समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही, राज्य में गो आधारित खेती और उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश भर में प्राकृतिक और स्वदेशी खेती को प्रोत्साहित करना और इससे प्राप्त उत्पादों के जरिए आर्थिक लाभ बढ़ाना है।

इस बैठक का आयोजन उत्तर प्रदेश सरकार की उन योजनाओं के तहत किया गया जो राज्य के ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में जैविक और प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा रहे हैं। इससे न केवल कृषि बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी व्यापक सुधार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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