जुलाई में घट सकते हैं अरहर, चना और उड़द दालों के दाम
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने शुक्रवार को कहा कि अच्छे मानसून की उम्मीद और आयात में वृद्धि से अगले महीने से तुअर, चना और उड़द दालों की कीमतों में नरमी आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगले महीने से इन तीनों दालों का आयात भी बढ़ेगा। इससे घरेलू आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
स्थिर हैं दालों की कीमतें
खरे ने संवाददाताओं से कहा, “तुअर, चना और उड़द दालों की कीमतें पिछले छह महीनों से स्थिर हैं, लेकिन उच्च स्तर पर हैं। मूंग और मसूर दालों की कीमत की स्थिति आरामदायक है।” 13 जून को चना दाल का औसत खुदरा मूल्य 87.74 रुपये प्रति किलोग्राम, तुअर (अरहर) 160.75 रुपये प्रति किलोग्राम, उड़द 126.67 रुपये प्रति किलोग्राम, मूंग 118.9 रुपये प्रति किलोग्राम और मसूर 94.34 रुपये प्रति किलोग्राम था।
उपभोक्ता मामले विभाग 550 प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों से खुदरा कीमतें एकत्र करता है। खरे ने कहा कि जुलाई से तुअर, उड़द और चना की कीमतों में नरमी आने की संभावना है। मौसम विभाग ने सामान्य मानसून बारिश का पूर्वानुमान लगाया है।
दालों के रकबे में होगा सुधार
उन्होंने आगे कहा कि हमें अच्छे मानसून, औसत से अधिक बारिश की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि दालों के रकबे में उल्लेखनीय सुधार होगा। बाजार में ऊंची कीमतों को देखते हुए किसान फसलों के रकबे में और बढ़ोतरी करेंगे। बाजार की धारणा में भी सुधार होगा।
सरकार किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है। खरे ने जोर देकर कहा कि सरकार घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत चना दाल को 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचने की सरकार की योजना आम आदमी को राहत प्रदान कर रही है।
म्यांमार और अफ्रीकी देश में प्रमुख निर्यातक
उन्होंने जोर देकर कहा, “हम घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।” भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 8 लाख टन तुअर और 6 लाख टन उड़द का आयात किया। म्यांमार और अफ्रीकी देश भारत के प्रमुख निर्यातक हैं।
सचिव ने कहा कि उनका विभाग आयात को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ घरेलू खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के साथ लगातार संपर्क में है ताकि जमाखोरी न हो। 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में अरहर का उत्पादन 33.85 लाख टन रहा, जबकि खपत 44-45 लाख टन रहने का अनुमान है।
चना का उत्पादन 115.76 लाख टन रहा, जबकि मांग 119 लाख टन है। उड़द के मामले में उत्पादन 23 लाख टन रहा, जबकि खपत 33 लाख टन रहने का अनुमान है। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है।
सब्जियों को लेकर क्या कहा?
सब्जियों के मामले में भी, खरे ने कहा कि मानसून की बारिश का खुदरा कीमतों पर अच्छा असर होगा। उन्होंने कहा कि आलू की मांग बढ़ गई है, क्योंकि गर्मी ने हरी सब्जियों की फसल को प्रभावित किया है। सरकार ने बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद शुरू कर दी है और 35,000 टन पहले ही खरीद लिया गया है।