पेगासस कैसे करता है जासूसी

इजरायल की कंपनी एन.एस.ओ (NSO) द्वारा निर्मित स्पाई साफ्टवेयर का नाम है पेगासस । देश में कई पत्रकारों, नेताओं और प्रसिद्ध लोगों के मोबाइल से डाटा चोरी के आरोपों को लेकर पेगासस स्पाईवेयर 2019 के बाद अब एक बार फिर से उन्ही वजहों के लिए चर्चा में है।
आखिर है क्या ये पेगासस?
इज़राइली कंपनी एन.एस.ओ द्वारा निर्मित पेगासस एक स्पाइवेयर है, जो अनाधिकृत तरीके से किसी के मोबाइल डिवाइस में प्रवेश कर उसके डेटा को मास्टर सर्वर पर स्थानांतरित कर उस व्यक्ति की जासूसी करता है। यह स्पाइवेयर ऐसी तकनीक पर आधारित है की इसने आइफोन की सुरक्षा को भी तोड़ दिया था। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सामने वाले को अपने फोन में इसके होने की भनक भी नहीं लगती।
पेगासस कैसे काम करता है?
पेगासस, मूल रूप से एक सॉफ्टवेयर है जो इंटरनेट से जुड़े मोबाइल उपकरणों को बिना प्रयोगकर्ता की जानकारी के संक्रमित कर सकता है। यहां तक की यदि प्रयोगकर्ता द्वारा किसी लिंक या संदेश पर क्लिक नहीं भी किया जाता है, तो भी फोन को संक्रमित किया जा सकता है।
अधिकांश स्पाइवेयर और स्टाकरवेयर ऐप्स स्वयं को किसी भी ऐसे एंटी थेफ़्ट या ट्रैकिंग एप्प में छिपा कर रख सकते हैं जिनका पता लगा पाना लगभग असंभव ही होता है । जबकि एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर द्वारा साधारण वायरस और मैलवेयर का तो पता लगाया जा सकता है परन्तु स्पाइवेयर और स्टाकरवेयर ऐप को इन एंटीवायरस सॉफ्टवेयर से नहीं खोजा जा सकता।
पेगासस किसी डिवाइस को कैसे प्रभावित करता है?
स्पाइवेयर ऐप्स के लिए, सबसे आसान तरीका है कि इनका लिंक व्हाट्सप्प या किसी भी माध्यम से मोबाइल पर भेजा जाए और उपयोगकर्ता उस लिंक को क्लिक कर दे या किसी प्रीमियम एप्लिकेशन के अनधिकृत वर्जन के अंदर स्पाइवेयर कोड को छिपाया जाए।
इस तरह के एप्लिकेशन से आये स्पाइवेयर, एक बार इंस्टॉल हो जाने के बाद, बैकग्राउंड में छिप जाते हैं, जहां से वे अपना काम करना जारी रखते हैं। इसी तरह, पेगासस आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले ऐप जैसे व्हाट्सएप या एसएमएस के माध्यम से उपयोगकर्ता के फोन और कंप्यूटर को संक्रमित करता है और “रूट विशेषाधिकार” हासिल करने की कोशिश करता है ताकि वे डिवाइस एडमिन बन सकें।
संक्रमित हो जाने के बाद क्या होता है?
एक बार इस स्पाइवेयर से संक्रमित हो जाने के बाद रिमोट सर्वर के निर्देशों के आधार पर सॉफ़्टवेयर बिना उपयोगकर्ता की जानकारी के कैमरा और माइक्रोफ़ोन चालू कर सकता है। चैट, कांटेक्ट और डेटा बैकअप में देख सकता है। यह स्पीच रिकॉर्ड भी कर सकता है, कैलेंडर तक पहुंच सकता है और एसएमएस और ईमेल पढ़ सकता है। स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर कंट्रोलिंग सर्वर को तब तक सिग्नल भेजना जारी रख सकता है जब तक उसका पता लगा कर सिस्टम को फॉर्मेट नहीं किया जाता ।
बचाव के तरीके
यूं तो पेगासस जैसे ज़ीरो क्लिक अटैक स्पाइवेयर से बचाव थोड़ा मुश्किल हो जाता है फिर भी विशेषज्ञ इस बात की सलाह देते हैं की मोबाइल पर आये किसी भी सस्पीशियस लिंक को क्लिक न करें। न ही ऐसे किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड करें जिसका लिंक किसी वाह्य स्रोत से प्राप्त हुआ हो। यहाँ इस बात की भी सलाह दी जाती है की जैसे ही ऑपरेशन सिस्टम या एप्लीकेशन का अपडेट आये उसे फ़ौरन अपडेट कर लें जिससे नया सिक्योरिटी पैच प्राप्त हो सके।