रायसीना डायलॉग से इतर मित्र देशों के प्रमुखों से मिले CDS जनरल अनिल चौहान
रायसीना डायलॉग सम्मेलन के नौवें संस्करण की शुरुआत 21 फरवरी से हो गई है। सम्मेलन में दुनियाभर के राजनेता और दूसरे क्षेत्रों के अग्रणी लोग हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को हल करना है। यह कार्यक्रम 23 फरवरी तक चलेगा। वहीं, रायसीना डायलॉग से इतर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मित्र देशों के रक्षा प्रमुखों से मुलाकात की।
सुरक्षा चुनौतियों और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा
गुरुवार को हुई बैठक में जनरल चौहान ने अन्य देशों के प्रमुखों के साथ सुरक्षा चुनौतियों और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। इस दौरान अन्य भारतीय वरिष्ठ रक्षा कर्मचारी भी मौजूद थे।
फ्रांसीसी नौसेना प्रमुख से मुलाकात
इससे पहले सीडीएस ने फ्रांसीसी नौसेना प्रमुख एडमिरल निकोलस वजौर के साथ बैठक की। इस दौरान आपसी रणनीतिक हित, हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों तथा समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति की पुष्टि की।
रक्षा कर्मचारियों के मुख्यालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा, ‘फ्रांसीसी नौसेना प्रमुख एडमिरल निकोलस वजौर ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति की पुष्टि करते हुए आपसी रणनीतिक हित, आईओआर में सुरक्षा चुनौतियों और समुद्री सहयोग को आगे बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा हुई।’
रायसीना डायलॉग क्या है?
रायसीना डायलॉग एक वार्षिक सम्मेलन है जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाता है। रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत का प्रमुख सम्मेलन है जिसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को हल करना है। रायसीना डायलॉग की शुरुआत साल 2016 में की गई थी।
हर साल, राजनीति, व्यापार, मीडिया और नागरिक समाज के नेता नई दिल्ली में जुटते हैं। इस दौरान ये दुनिया की स्थिति पर चर्चा करते हैं और समसामयिक मामलों पर सहयोग के अवसर तलाशते हैं। संवाद में राष्ट्र प्रमुख, कैबिनेट मंत्री और स्थानीय सरकार से जुड़े अधिकारी शामिल होते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र, मीडिया और शिक्षा जगत के विचारक भी कार्यक्रम से जुड़ते हैं।
सम्मेलन की मेजबानी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन करता है। इसमें कई संस्थानों, संगठनों और व्यक्तियों का समर्थन भी हासिल होता है।