अग्रोहा टीले की खोदाई का मामला ; सरकार व पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के बीच हुआ समझौता

हिसार अग्रोहा टीले की खोदाई जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है। समझौता ज्ञापन पर एएसआई की ओर से महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत और हरियाणा पर्यटन एवं विरासत विभाग के प्रधान सचिव श्री एमडी सिन्हा ने हस्ताक्षर किए।

हिसार के अग्रोहा टीले की खोदाई को लेकर रविवार को नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हरियाणा सरकार व पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। इसके साथ ही हिसार से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक स्थल अग्रोहा टीले की खोदाई का मार्ग अब पूरी तरह प्रशस्त हो गया है। टीले की खोदाई जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है।

इस समझौता ज्ञापन पर एएसआई की ओर से महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत और हरियाणा पर्यटन एवं विरासत विभाग के प्रधान सचिव श्री एमडी सिन्हा ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष एवं अग्रोहा विकास परियोजना के चेयरमैन श्री ज्ञानचन्द गुप्ता और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री एवं अग्रोहा विकास परियोजना के को-चेयरमैन डाॅ कमल गुप्ता भी उपस्थित रहे।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिसार हवाई अड्डे पर महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और यह प्रतिमा समाज के सहयोग से निर्मित होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी के अनुरोध किए बिना भी उन्होंने हिसार में बनाए गए विश्व के सबसे बड़े हवाई अड्डे का नामकरण महाराजा अग्रसेन के नाम पर किया है।

राखीगढ़ी के तर्ज पर विकसित किया जाएगा अग्रोहा को

मुख्यमंत्री ने कहा कि सैटेलाइट से ऐसे प्रमाण मिले हैं कि सरस्वती नदी हरियाणा के आदिबद्री से शुरू होकर राजस्थान, गुजरात होते हुए समुद्र में जाती है। इसी नदी के किनारे कई शहर बसे हुए थे, जिनमे से एक अग्रोहा शहर भी था। वह शहर आज दब गया है और यह शहर व्यापार का केन्द्र होता था। फतेहाबाद का कुनाल, भिरढाना, बनावाली तथा हिसार के राखीगढ़ी भी सरस्वती के किनारे बसे स्थल रहे हैं। अग्रोहा धाम को राखीगढ़ी के तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

तीन बार हो चुकी है खोदाई

इतिहासकार डॉ. महेंद्र सिंह की मानें तो इस जगह की सबसे पहले रिपोर्टिंग एक अंग्रेज अफसर कनिंगम ने की थी। इसके बाद पहली बार वर्ष 1939-40, दूसरी बार वर्ष 1972 और तीसरी बार वर्ष 1982-83 में टीले की खोदाई की गई। तीसरी दफा हुई टीले की खोदाई की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई। यहां तीन लेयर मिली हैं। सबसे ऊपर की लेयर सिख व राजपूतों, बीच की लेयर में अग्र व कबीले योद्धे और तीसरी लेयर में बौद्ध व जैन धर्म से संबंधित साक्ष्य मिले हैं। इस टीले की अभी तक 39 फीट तक खोदाई की गई है। खोदाई के दौरान यहां ईंट, खिलौने, सिक्के व दैनिक उपयोग की वस्तुएं मिली हैं। डॉ. महेंद्र के मुताबिक अगर इस टीले की और गहराई में खाेदाई की जाए और कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं।

अग्रोहा ग्लोबल सिटी निर्माण की योजना प्रस्तावित

मंत्री कमल गुप्ता ने बताया कि निकाय मंत्री डाॅ. गुप्ता ने बताया कि अग्रसेन फाउंडेशन के पदाधिकारी टीले की खोदाई को लेकर प्रयासरत थे। टीले की पूर्व में हुई खोदाई के अवशेषों को एकत्रित कर व नई खोदाई से प्राप्त अवशेषों को एक बड़े संग्रहालय का निर्माण कर उसमें रखा जाएगा। अग्रोहा में अग्रोहा ग्लोबल सिटी निर्माण की योजना भी प्रस्तावित है। यह बहुत महत्वाकांक्षी योजना है, जो दो हजार किलोमीटर क्षेत्रफल में विकसित होगी व 18 सेक्टरों में इसे विभाजित कर इसका निर्माण किया जाएगा। देश-विदेश के बड़े- बडे निवेशकों ने इस परियोजना में अपनी रुचि लेनी शुरू कर दी है।

प्रतिक्रिया

काफी समय से हमारी अग्रोहा टीले की खोदाई को लेकर मांग चलती आ रही थी। खुशी की बात है कि केंद्र व हरियाणा सरकार ने अब टीले की खोदाई के बाबत एमओयू साइन किया है। केंद्र सरकार से अपील है कि अग्रोहा टीले की खुदाई का काम अपनी घोषणा के अनुसार तुरंत प्रभाव से शुरू कराए ताकि खोदाई में जो भी सामग्री निकले, उसे महाराजा अग्रसेन के नाम पर बन रहे भव्य म्यूजियम में रखा जा सके। – बजरंग गर्ग, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अग्रोहा धाम वैश्य समाज।

अग्रवाल समाज की लंबित मांग को हरियाणा सरकार ने पूरा किया है। इससे अग्रोहा के विकास को चार चांद लगेंगे और टीले की खोदाई से महाराजा अग्रसेन और अग्रोहा के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी मिलेंगी। – विपिन गोयल, प्रदेश प्रवक्ता एवं महामंत्री, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन

Related Articles

Back to top button