क्या नौतपा है इतनी गर्मी का कारण ?

भारत में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मई महीने की शुरुआत होते ही उत्तर भारत के कई हिस्सों में जहां तापमान 38°-39° से बढ़ते हुए मई के तीसरे हफ्ते तक 40° का आंकड़ा पार कर चुका था।

यह स्थिति आगे भी लगातार बनी हुई है और तापमान अब बढ़कर देश के कुछ शहरों में तो 50° के स्तर को भी छूने लगा है। यह बहुत ही भयानक स्थिति है। जगह-जगह इस एक्सट्रीम हीट के स्ट्रोक से लोग बीमार हो रहे है। कई जगह से ओवर हीटिंग की वजह से AC कंप्रेसर के फटने की भी खबरे आने लगी है।

नौतपा से बरस रही है आग

इस समय अचानक इतनी गर्मी बढ़ने का कारण है नौतपा। नौ दिनों तक लगातार तपाने वाली गर्मी ज्येष्ठ माह शुरू होने के अगले दिन यानी 25 मई से आरम्भ हुई है। जो 2 जून तक जारी रहेगी। यही कारण है कि इस समय उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में अत्याधिक तापमान देखने को मिल रहा है।

क्या है नौतपा?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष में एक बार सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है । सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही सूर्य की सीधी रेखा में पृथ्वी पर पड़ने वाले स्थलों का तापमान बढ़ जाता है। वैसे तो सूर्य 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहता है पर शुरू के 9 दिनों की स्थिति को ही नौतपा कहते हैं। इस दौरान सूर्य से पृथ्वी के मध्य की दूरी कम हो जाती है। और सूर्य अपने उग्र रूप में रहता हैं। जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है।

हर साल की तरह इस बार भी नौतपा ज्येष्ठ माह के अगले दिन यानी 25 मई को प्रातः 3 बजकर 16 मिनट पर सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही आरम्भ हो चुका है और 2 जून तक जारी रहेगा। रोहिणी नक्षत्र के उपरान्त सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में चला जाएगा।

नौतपा के दौरान पृथ्वी पर पड़ने वाली भीषण गर्मी से समुद्र, और नदियों जैसे सभी जल स्त्रोतों से वाष्पीकरण भी अधिक होता है जिससे अच्छे मानसून की संभावना बनी रहती है। इसी आधार पर भारतीय मौसम विभाग ने भी भारत के मानसून के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की है कि देश में जून से सितंबर के मध्य कुल मिलाकर ‘सामान्य से अधिक’ मानसून वर्षा की उम्मीद की जा सकती है।

नौतपा का क्या है वैज्ञानिक आधार?

यूँ तो विज्ञान सीधे-सीधे धार्मिक मान्यताओं पर कोई तर्क नहीं देता है पर फिर भी यह मानता है कि हमारी धार्मिक मान्यताएं विज्ञान पर ही आधारित हैं। बात करें हमारे ज्योतिष शास्त्र की तो, वो तो पूर्णतया विज्ञान पर ही आधारित है।

अगर नौतपा के विषय में विज्ञान में कुछ तथ्य खोजें जाए तो शायद ही कुछ सन्दर्भ मिलें, पर पूरी स्थिति समझने पर ज्ञात होगा की इसका आधार भी विज्ञान ही है। विज्ञान भी कहता है कि मई माह के चौथे हफ्ते से लेकर जून के पहले तक सूर्य से पृथ्वी की दूरी कम होती है। जिससे गर्मी अपेक्षाकृत अधिक होती है।

पृथ्वी से सूर्य की कम दूरी

अब चूँकि ग्रीष्म ऋतु में इस समय सूर्य की स्थिति पृथ्वी से सीधी रेखा में होती है, सूर्य से पृथ्वी की दूरी भी कम होती है तो पृथ्वी तक सौर्य विकिरण की मात्रा सर्वाधिक होती है। साथ ही इस समय आसमान में बादलों की भी कमी होती है जिससे आसमान साफ़ रहता है और विकिरण से पृथ्वी के तापमान में तीष्ण वृद्धि होती है।

पृथ्वी की सतह के इस बढ़ते हुए तापमान की वजह से सतह के ऊपर की हवा गर्म होकर वातावरण में ऊपर उठने लगती है और सतह पर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। जिससे यह नम हवा को आकर्षित करती है। इस वजह से उस सतह के ऊपर रहने वाले लोगो को गर्मी का एहसास और अधिक होता है क्यूंकि हवा में नमी की वजह से शरीर का पसीना सूख नहीं पाता जो शरीर को ठंडा रखने के लिए ज़रूरी होता है।और तापमान अधिक महसूस होता है।

उत्तर भारत की भौतिक स्थिति

उत्तर भारत में नौतपा का प्रभाव अधिक इसलिए भी है कि यह एक मैदानी क्षेत्र है जहाँ सौर्य विकिरण की अधिक मात्रा से पृथ्वी की सतह जल्दी गर्म तो हो जाती है पर उतनी तेजी से ठंडी नहीं हो पाती। साथ ही यहाँ पर कन्वेक्शन कर्रेंटस की वजह से इस समय चलने वाली उत्तरपश्चिमी हवाएं जिन्हे लू कहते हैं से भी मौसम अपेक्षाकृत गर्म रहता है।

नौतपा का प्रभाव इसी साल सर्वाधिक क्यों ?

यूँ तो पूरे उत्तर भारत में नौतपा में सूर्य का प्रकोप हर साल एक सा ही रहता है । फिर क्यों इस साल साल गर्मी का प्रकोप कुछ ज्यादा ही सता रहा है।

अगर पूरे विश्व के आंकड़ों पर नज़र डाले तो पता चलेगा की तापमान में यह वृद्धि विश्व के बहुत सारे देशों में देखने को मिल रही है। फिलीपींस जैसे देश में तापमान 53° से ऊपर निकल गया । यह स्थिति नार्मल नहीं है या केवल नौतपा ही इसका कारण नहीं है। नौतपा का अपना एक धार्मिक आधार है। परन्तु वैज्ञानिक आधार पर भारत समेत विश्व के दूसरे देशों में स्थिति बिलकुल अलग है। पूरे विश्व में इस बढ़ते हुए तापमान का कारण अल-नीनो (EL NINO) को माना जा रहा है।

अल-नीनो (EL NINO)

Source: Weather Authority

वैज्ञानिक विश्व में इस बढ़ते तापमान का कारण अल-नीनो (EL NINO) को मानते है। अल-नीनो एक जलवायु पैटर्न होता है जो प्रशांत महासागर के पूर्वी और मध्य भाग में समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है। जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। अल-नीनो की घटनाएं आमतौर पर 9 से 12 महीने तक चलती हैं, लेकिन कुछ लंबे समय तक चलने वाली घटनाएं वर्षों तक बनी रह सकती हैं। वर्ष 2023-24 की गर्मियों में तापमान में इतनी अधिक वृद्धि का कारण यही अल-नीनो ही है। 

कैसे करें अपना बचाव इस भीषण गर्मी में

पूरे उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में पड़ रही इस भीषण गर्मी को देखते हुए बहुत सी जगहों पर सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया हुआ है साथ ही गर्मी और लू से बचाव के लिए निर्देश जारी करें हैं। पर इस मामले में हमें स्वतः भी सतर्क रहना होगा ताकि हम हीट स्ट्रोक का शिकार न होने पाएं। हीट स्ट्रोक कुछ मामलो में जानलेवा भी हो सकता है।  हीट स्ट्रोक से बचने के लिए आप यह उपाय ज़रूर करें। 

धूप से बचें

अगर आप बाहर जाने की योजना बना रहे हैं, तो धूप में निकलने से पहले सिर को अच्छे से ढंकें। सनग्लासेस पहनें और अगर संभव हो तो सफेद या हल्के रंग के कॉटन के कपड़े ही पहने जिससे पसीना सूख सके और शरीर ठंडा रहे।

पानी पीते रहे

ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे आपका शरीर तापमान नियमित रहेगा।

हल्का भोजन करें

हल्का और तरल पौष्टिक भोजन करें। खाने में ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, नारियल, बेल को शामिल करें।

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छाता या टोपी का उपयोग करें:

धूप में बाहर निकलने से पहले छाता लें या गमछा, टोपी पहनें, खासकर दोपहर 11 बजे से 3 बजे के बीच

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यदि आपको हीट स्ट्रोक के लक्षण महसूस हों तो तुरंत किसी डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और भरपूर आराम करें।

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