NPA काबू में, लेकिन कृषि क्षेत्र में अभी भी ज्यादा; वित्तीय सेक्टर को भी वैश्विक बनाने की जरूरत
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देश के बैंकिंग व दूसरे वित्तीय सेक्टर की स्थिति बहुत ही मजबूत दिखाई देती है और आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास का कहना है कि जिस तरह से वैश्विक ग्रोथ में भारतीय इकोनॉमी की धमक बढ़ रही है उसी तरह से भारतीय वित्तीय सेक्टर को भी मजबूत बनाने की जरूरत है। अच्छी बात यह है कि फंसे कर्जे यानी एनपीए (नान-परफॉर्मिंग एसेट्स) के मामले में स्थिति पूरी तरह से पलटी नजर आती है।
12 वर्षों के न्यूनतम स्तर सकल एनपीए
देश के बैंकिंग सेक्टर का शुद्ध एनपीए कुल अग्रिम के मुकाबले घट कर मार्च, 2024 में 0.6 फीसदी पर आ चुका है। सकल एनपीए का स्तर भी 12 वर्षों के न्यूनतम स्तर 2.5 फीसदी पर आ चुका है। लेकिन इन आंकड़ों के बीच कृषि क्षेत्र में एनपीए का स्तर अभी भी छह फीसदी से ज्यादा बना हुआ है जो देश की इकोनॉमी में बड़ी भूमिका निभाने वाले और बड़ी संख्या में रोजगार देने वाले इस सेक्टर की खराब स्थिति को भी दर्शाता है।
रिजर्व बैंक ने जारी की एफएसआर रिपोर्ट
आरबीआई ने गुरुवार को वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जारी की है। वर्ष 2008-09 के वैश्विक मंदी के बाद हर तीन महीने पर केंद्रीय बैंक यह रिपोर्ट जारी करता है जिसमें वित्तीय सेक्टर की स्थिति की स्थिति का पता चलता है। इसमें बताया गया है कि कृषि सेक्टर में एनपीए देश के बैंकिंग सेक्टर में एनपीए का 29 फीसदी है जबकि उद्योग जगत का हिस्सा 29 फीसदी, सर्विस सेक्टर का 27.3 फीसदी और व्यक्तिगत लोन सेक्टर का 13.9 फीसदी है।
कृषि सेक्टर में फंसे कर्ज का स्तर चिंताजनक
दूसरी तरफ कृषि सेक्टर में फंसे कर्ज का स्तर अभी भी 6.2 फीसदी है जो उद्योग जगत के 3.5 फीसदी के तकरीबन दोगुना है। सर्विस सेक्टर में यह स्तर 2.7 और पर्सनल लोन (होम लोन, ऑटो लोन आदि) में 1.2 फीसदी है। अगर सितंबर, 2022 से तुलना की जाए तो अन्य सभी सेक्टरों मे एनपीए का स्तर जितनी तेजी से कम हुआ है उतनी तेजी से कृषि सेक्टर में कम नहीं हुआ है। साथ ही कर्ज के एनपीए में तब्दील होने की स्थिति भी कृषि सेक्टर में खराब है। यह क्यों है, इसके बारे में रिपोर्ट में कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन यह कृषि सेक्टर की स्थिति को बताता है।
वित्तीय सेक्टर को भी मजबूत बनाने की जरूरत
सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023-24 में कृषि सेक्टर की ग्रोथ रेट 1.4 फीसदी रहने की उम्मीद है। एफएसआर में आरबीआई गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने कहा है कि वैश्विक ग्रोथ में जिस तरह से भारतीय इकोनॉमी की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है, उसी तरह से भारतीय वित्तीय सेक्टर को भी मजबूत बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। वित्तीय सेक्टर में बेहद मजबूत गवर्नेंस की उन्होंने जोरदार वकालत की है।
भविष्य के लिए और तैयार रहने की जरूरत
वैश्विक संदर्भ में आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि, एक तरफ कर्ज का स्तर बढ़ा है, वैश्विक स्तर पर तनाव लगातार बढ़ रहा है, वित्तीय प्रौद्योगिकी और पर्यावरण को लेकर नई चुनौतियों के पैदा होने की संभावना है। ऐसे में भारतीय इकोनॉमी अंदर से मजबूत बनी हुई है। विकास और स्थिरता के बीच तालमेल बनाये रखने को लेकर जो कदम उठाए गए हैं उसका असर है। हमें इस स्थिति का फायदा उठाते हुए भविष्य के लिए और तैयारी करनी चाहिए और भारतीय इकोनॉमी की स्थिति को देखते हुए अपने वित्तीय सेक्टर को भी तैयार करना चाहिए।